कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रामरेखा घाट में उमड़ी भीड़
धार्मिक नगरी बक्सर गंगा किनारे स्थित होने के कारण इनका महत्व बढ़ गया है और इसी अवसर पर भीड़ का आना शुरू हो गया है
धार्मिक नगरी बक्सर में लगभग हर महीने यही हाल रहता है पूरा भीड़ जमा रहता है गांव देहात दूर-दूर से लोग यहां पर गंगा स्नान करने के लिए आते हैं और पवित्र होकर अपना पुण्य कमाते हैं उनको लगता है कि भगवान श्री राम यहां पर आए थे उनके यहां पर यादें अभी भी जुड़ी हुई है ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद उनको घसीटते हुए गंगा किनारे ले गए थे उसे लकीर उसे दाग को रामरेखाकहते हैं और उसे जगह को रामरेखा घाट कहते हैं यहां पर जाकर भगवान श्री राम ने भगवान भोलेनाथ की स्थापना की थी और इसी कारण से रामेश्वर यहां पर भी मंदिर है रामेश्वर नाथ मंदिर यहां भी है यह पहला मंदिर है और इस कारण से उनकी पूजा दूर-दूर से लोग आकर करते हैं यहां पर भगवान श्री राम के चरण पादुका भी है विश्वामित्र की मूर्तियां भी हैआप यहां पर आकर के उनके यादें को ताजा कर सकते हैंऔर यहां पर हर समय कुछ न कुछ धार्मिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं जैसे की भागवत कथा रामायण पाठ कीर्तन भजन अखंड संकीर्तन इस तरह से कई कार्यक्रम यहां पर होते रहते हैं नवाब पारायण हो शिव जी का अभिषेक हो या फिर तनाव का माहौल हो गंगा के इस पर से लेकर उत्तर प्रदेश के उसे पर तक नव से यात्रा करते हैं लोग और स्नान करते हैं अपना मन्नत मांगते हैं मुंडन करते हैं इस तरह से कई कार्य यहां पर चलते हैंयहां पर पंडा समाज भी अपना बहुत ही व्यवस्था बनाए रखते हैं वहां पर चौकी बैठने की व्यवस्था फूल पूजा के सामग्री और जितने भी पूजन सामग्री की व्यवस्थाएं होती है वह सही यहां पर उपलब्ध होते हैं आप कुछ भी लेकर नहीं भी आएंगे तो भी यहां पर आपकी पूजा हो जाएगीबगल में कुछ दूर पर ही अस्मशान घाट है वहां पर अंतिम संस्कार करने के बाद भी कुछ लोग यहीं पर आते हैं तो मैक्सिमम लोग यहीं पर आते हैं और यह गंगा स्नान करने के बाद यहीं पर खाना भी कहते हैं तो खाने-पीने के लिए होटल भी यहां पर सस्ते में उपलब्ध है इस रामरेखा घाट के चौक परबहुत बड़ा मार्केट है श्रृंगार दुकान पूजा का दुकान और चूड़ी लैटिस और जितने भी आइटम्स हैं किताब का दुकानआप महिलाओं का तो कहीं की यहां स्वर्ग ही है इसलिए कि उनकी आवश्यकता है जितनी भी है वह सभी चीज उन सारी चीजों का कलेक्शन इस बड़े परिसर में है इसमें हमको लगता है कि सैकड़ो दुकान हैं छोटे से परिसर में छोटा से बड़ा और एक दो तीन महल तक कई दुकानें बनी हुई है और हजारों लोगों का नौकरी एक तरह से यहां पर लगा हुआ कह सकते हैं हजारों लोगों को रोजगार इस घाट पर मिलता है आम लोगों के जो ज़रूरतें हैं उसको वह पूरा करते हैं और इस तरह से सहूलियत देते हैं अपने रोजी-रोटी भी कमाते हैं दूसरों की सेवा भी करते हैं और आम जनमानस का कल्याण भी हो जाता है हां एक चीज है कि जितनी भीड़ यहां पर होती है भीड़ के साथ-साथ गंदगियां भी होती है तो गंदगी को दूर करने के लिए यहां पर प्रशासन जो भी कार्य कर रही है वह पूरी तरह से मस्टर्ड नहीं हो पाती है थोड़ी सी कमी रह जाती है जिस कारण पर्व के बाद उदासीन माहौल में गंदगी दिखती है चाहे वह छत के समय का हो या अन्य किसी भी पर्व के बाद का माहौल हो प्रभु के समय में लोग सस्ते हैं सजाते हैं स्नान करते हैं सिंगर करते हैं और लाइट वगैरा की व्यवस्था करते हैं तो बहुत सुंदर रमणीक स्थल बन जाता है लेकिन उसके दूसरे दिन ही जब उसे जगह को देखते हैं तो खंडहर वीरान सा और कूड़े कचरे का ढेर सा लगता है यह विपरीत बातें एक साथ शोभा नहीं देती है इसका भी कुछ उपाय कर लेना चाहिए इसका भी कुछ निदान समाधान ढूंढना चाहिए इसमेंलोगों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए इसको ठीक करना चाहिए अगर इसको हम ठीक कर लेते हैं तो फिर यह बहुत बड़ा तीर्थ स्थल बन जाएगा तीर्थ स्थल तो है ही लेकिन यह और भी स्टैंडर्ड जो है मानक जो है तीर्थ स्थल का उसको पूरा कर पाएगा और इंटरनेशनल तीर्थ बन जाएगाकुछ प्रयास इधर हुए हैं यहां के सामाजिक कार्यकर्ता लोग एक्टिव हुए हैं और वह रामायण सर्किट से इसको जोड़कर देख रहे हैं की रामायण सर्किट में राम जी कहां से कहां कहां से कहां चले विश्वामित्र मुनि के पास आकर बक्सर में ही उन्होंने दीक्षा शिक्षा ग्रहण की और यही से उन्होंने संघार करना शुरू किया तड़का सुबह हो को मार कर यहीं से उन्होंने अपना रास्ता परिवर्तन किया और पहुंच गए मिथिला मां सीता से शादी हुआ विवाह हुआ और फिर अयोध्या लौटे फिर वहां से राजनीति शुरू हुई है वनवास हुए लंका गए फिर लौट अयोध्या तो इस तरह से जो राम जी का जीवन में आना-जाना तेज जगह पर हुआ तो बालक राम से मैं कर राम जो बने उसमें बक्सर की भूमिका बहुत बड़ी हैलेकिन आज इस बक्सर के बड़प्पन को और बढ़ाना हम सब की जिम्मेदारी है